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Created by
Ayan Chakraborty
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Cards (10)
पोशाकें मनुष्यों को विभिन्न श्रेणियों में
बाँट
देती हैं
पोशाक
की
समाज
में
मनुष्य
का
अधिकार
और उसका दर्ज़ा
निश्चित करती है
झुककर
निचली श्रेणियों
की
अनुभूति
को
समझने
के
लिए पोशाक
ही
बंधन
और
अड़चन बन जाती है
बाज़ार
में खरबूजे बेचने आई एक औरत कपड़े में मुँह छिपाए सिर को घुटनों पर रखे फफक-फफककर रो रही थी
उसका तेईस
बरस
का लड़का परसों सुबह साँप के डसने से मर गया था
उसकी
बहू
और
पोते
भूख से
बिल-बिला
रहे थे
वह बेबस होकर खरबूज़े बेचने आई थी ताकि उन्हें कुछ
खिला
सके
लेखक ने उसके दुख की
तुलना
अपने पड़ोस के एक
संभ्रांत महिला
के
दुख
से की
शहर
भर के
लोगों
के
मन उस पुत्र-शोक
से
द्रवित हो उठे थे
लेखक सोचता चला
जा रहा
था कि शोक करने, ग़म मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और दु:खी होने का भी एक अधिकार होता है