लेखक ध्वनि का एक अनोखा गुण बताते हुए कहते हैं कि ध्वनि एक क्षण में ही आपको किसी दूसरे समय-संदर्भ में पहुँचा सकती है
लेखक ने बताया कि जब हम कोई काम कर रहे होते हैं और अचानक ही कोई तेज आवाज हो तो हम हड़बड़ा जाते हैं और कुछ समय के लिए कभी-कभी तो भूल भी जाते हैं कि हम क्या काम कर रहे थे
लेखक अपने दिनचर्या का वर्णन करते हुए बताते हैं कि उनकी शांतिपूर्ण दिनचर्या में एक बाधा पड़ गई थी जिसके कारण उन्हें जागना पड़ा
लेखक ने त्रिपुरा के बारे में बताते हुए कहा कि यह तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ है और बाकी भाग भारत के साथ जुड़ा हुआ है। यहाँ की असाधारण जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण लेखक इसी को मानते हैं
त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियों और विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिध्त्वि मौजूद है
लेखक ने त्रिपुरा के लोगों के बारे में बताते हुए कहा कि वे अपने दिखावटी दुनिया से दूर थे
गायक जो थे उन्हें 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कार भी दिए गए हैं
जिला परिषद ने लेखक की शूटिंग यूनिट के लिए एक भोज का प्रबंध किया था
त्रिपुरा के लोग अपने रीती-रिवाजों को मानते आ रहे थे
हेमंत कुमार जमातिया ने लेखक से गीत सुनाने की प्रार्थना की और उन्होंने धरती पर बहती नदियों, ताजगी भरी हवाओं और शांति से भरा गीत गाया
मंजु ऋषिदास एक गायिका थी और उनके बारे में लेखक ने बताया कि वे रेडियो कलाकार भी थीं और नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं
लेखक ने जिलाधिकारी से मुलाकात की, जिसने उन्हें टी.पी.एस. (टरू पोटेटो सीड्स) की खेती के बारे में बताया
जिलाधिकारी ने लेखक से पूछा कि क्या वह उनाकोटी में शूटिंग करना पसंद करेंगा
जिलाधिकारी ने लेखक को उनाकोटी के बारे में आगे बताते हुए कहा कि यह जगह जंगल में काफी भीतर है हालाँकि जहाँ लेखक और उसकी यूनिट अभी थी वहाँ से इसकी दूरी सिर्फ नौ किलोमीटर ही थी
उनाकोटी एक तीर्थ है जो भगवान शिव के तीर्थों में से एक है
जिलाधिकारी ने बताया कि उनाकोटी जंगल में काफी भीतर है, लेकिन लेखक और उसकी यूनिट के लिए इसकी दूरी सिर्फ नौ किलोमीटर थी
उनाकोटी का मतलब है एक कोटि, यानी एक करोड़ से एक कम
उनाकोटी में शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं, जो पहाड़ों को अंदर से काटकर विशाल आधार-मूर्तियाँ बनाई गई हैं
उनाकोटी में एक बहुत विशाल चट्टान है जो ऋषि भगीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा के उतरने की पौराणिक कथा को चित्रित करती है
उनाकोटी में भगवान शिव का चेहरा एक पूरी चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हुई हैं
उनाकोटी में पूरे साल बहने वाला एक झरना है जिसे गंगा जितना ही पवित्र मानाजाता है
उनाकोटी में हर कदम पर आपको किसी न किसी देवी-देवता की मूर्ति मिल जाएगी
स्थानीय आदिवासियों का मानना है कि उनाकोटी में बनी आधार-मूर्तियों का निर्माण कल्लू कुम्हार ने किया था
कल्लू कुम्हार ने उनाकोटी में एक रात में शिव की एक करोड़ मूर्तियाँ बनाने की शर्त स्वीकार की थी, लेकिन सुबह होने पर मूर्तियाँ एक करोड़ से एक कम निकलीं
भगवान शिव ने कल्लू कुम्हार को उनाकोटी में ही छोड़ दिया और खुद माता पार्वती के साथ कैलाश की ओर चले गए
उनाकोटी में शूटिंग के दौरान भयानक अंधकार छा गया और बादलों की सेना गर्जन-तर्जन के साथ कहर बरसाने लगी
शाम की भयानक गर्जन-तर्जन को याद करके लेखक को वर्तमान में उनाकोटी की याद आती है