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Ayan Chakraborty
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लेखक ने साल
1989
जुलाई में तीन-तीन
जबरदस्त
हार्ट-अटैक के बारे में बताया
डॉक्टरों ने लेखक के प्राण के
बारे
में घोषणा की थी
एक
हार्ट-अटैक इतना खतरनाक था कि लेखक की नब्ज
बंद
, साँस
बंद और
धड़कन भी
बंद
पड़ गई थी
डॉक्टर बोर्जेस ने
लेखक
को नौ सौ वॉल्ट्स के
शॉक्स दिए
थे
जिनसे
लेखक के
प्राण बच गए लेकिन उनका साठ प्रतिशत
हार्ट
नष्ट
हो
गया था
लेखक
के
चालीस प्रतिशत काम
करने
वाले हार्ट में तीन रुकावटें थीं
लेखक को
ओपन
हार्ट ऑपरेशन करना होगा लेकिन सर्जन हिचक रहे हैं
लेखक की माँ लेखक को स्कूली पढ़ाई करने के लिए जोर
दिया करती थी
लेखक की
प्रिय पुस्तक
थी
स्वामी दयानंद
की
जीवनी
, जो
बहुत
ही मनोरंजक
शैली में लिखी हुई
थी, अनेक
चित्रों
से
सज्जी हुई
लेखक को घर
जाकर बिना
हिले-डुले आराम करने की सलाह दी गई थी
लेखक को बेडरूम में नहीं
बल्कि
उसके किताबों वाले कमरे में ही
रखा
गया था
लेखक
की
माँ
को
चिंता थी
कि
लेखक कक्षा
की
किताबें नहीं पढ़ता है
लेखक
को
स्कूल में भरती किया गया था और उसी दिन उसके पिता ने उसे ताजा अनार का शरबत पिलाया था
लेखक की दुकान पर ताजा अनार का शरबत मिट्टी के
बर्तन
में पिलाया गया था
लेखक के पिता ने लेखक को वायदा किया कि वह अपने पाठ्यक्रम की किताबें उतने ही ध्यान से पढ़ेगा
जितने
ध्यान से लेखक पत्रिकाओं को पढ़ता है
लेखक
के
पिता
ने
लेखक
की
अच्छे नंबर आने
पर
केवल मुस्कुराया और कुछ नहीं बोला
लेखक को स्कूल से इनाम में दो
अंग्रेजी
किताबें मिली थीं
पहली किताब में दो
छोटे बच्चे
घोंसलों की खोज में बागों और घने पेड़ों के बीच में भटकते हैं
दूसरी किताब
'ट्रस्टी
द रग' में पानी के जहाजों की कथाएँ थीं
लेखक की लाइब्रेरी 'हरि भवन' नामक
छोटे
से
लाइब्रेरी
में खूब सारे उपन्यास थे
लेखक
के
परिवार
पर
रुपये-पैसे
से संबंधित अधिक
संकट बढ़ गया था
कि
लेखक
को
फीस जुटाना मुश्किल हो गया था
एक ट्रस्ट की
ओर
से
बेसहारा
छात्रों को पाठ्यपुस्तकें खरीदने के लिए सत्र के आरंभ में कुछ
रुपये
मिलते थे
लेखक
ने
अपनी माध्यमिक
की
परीक्षा
को
पास किया था
लेखक ने अपनी पहली साहित्यिक पुस्तक अपने पैसों से
खरीदी
थी
लेखक
ने
बी.ए.
की
पाठ्यपुस्तकें खरीदने
के
लिए सेकंड-हैंड बुकशॉप
पर
गया था
लेखक ने देवदास किताब को एक
रुपया
में खरीदा था
लेखक ने दस आने में देवदास
किताब खरीदी थी
लेखक
ने
अपनी पुरानी किताबें बेचकर
दो
रुपये बचाए थे
लेखक
का
ऑपरेशन सफल होने
के
बाद विंदा करंदीकर लेखक
से
मिलने आए थे
विंदा करंदीकर ने लेखक से कहा था कि उन्होंने लेखक को दोबारा
जीवन
दिया है
लेखक
ने
मन-ही-मन सभी
को
प्रणाम किया विंदा
को
भी
, इन
महापुरुषों को भी
लेखक
ने
मानता था
कि
उसके द्वारा इकठ्ठी
की
गई पुस्तकों में उसकी जान बसती है जैसे तोते में राजा के प्राण बसते थे